शादी करने का सपना हर मनुष्य की कामना होती है और यह कामना होने पर अपूर्ण व्यक्ति अपने आप को पूरा महसूस करता है, हमारे वेद पुराण शास्त्र रीति रिवाज सभी में वैवाहिक जीवन को जन्म जन्मांतर चलने वाला पवित्र रिश्ता माना है और समाज में भी इसको पवित्र माना जाता है, आज के समय में जिस तरह से मॉडर्न कल्चर प्रतिदिन घरों के दरवाजे तोड़कर अंदर घुसता जा रहा है उसी प्रकार से शादी जैसे पवित्र रिश्ता पर से आज की पीढ़ी का विश्वास भी कम होता जा रहा है, लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है आज हम आपको इस ब्लॉग सेक्शन में बहुत विस्तार से बताएंगे, कुछ ग्रहों के युगों के बारे में भी हम बात करेंगे और कुछ आपको विवाह के पूर्व तथा विवाह के पश्चात करने तथा ना करने योग्य बातें भी बताएंगे, ध्यान रहे –
मैं आपको किसी भी तरह से कहीं से भी कॉपी पेस्ट करके नहीं दूंगा पूरे तर्क के साथ पूरे सिस्टम के साथ आपको ग्रहण के बारे में वैवाहिक जीवन के बारे में साथ ही साथ आपको तकलीफ के कारण और निवारण भी बताऊंगा
किसी भी जातक की जन्मकुंडली के अंदर सबसे पहले यह देखा जाना जरूरी है सूर्य, शुक्र, शनि राहु, मंगल और गुरु किस स्थिति के अंदर बैठे हुए हैं जब जन्म कुंडली के अंदर यह ग्रह अपने दुश्मन ग्रहों के साथ मिलकर बैठे हैं या फिर ऐसे घरों के अंदर बैठे हो यह बहुत अच्छे ना माने गए हो ऐसी स्थिति के अंदर गृहस्थी का सुख खराब होने लग जाता है और पति पत्नी के बीच में आपसी संबंधों में खटास बहुत आने लगती है इसीलिए किसी भी मैच मेकिंग से पहले करते समय किसी भी कन्या या वर की जन्म कुंडली ध्यान से देखें और सूर्य यानी पिता शुक्र यानि कि पिता के माता के साथ संबंध कैसे हैं शनि जातक का काम-काज कैसा है? क्या वह शादी के पश्चात अपने जीवन साथी को अपने काम से अपनी काबिलियत से साथ ही साथ क्या वह अपनी पूरी कार्यक्षमता के साथ जीवन साथी को खुश रख सकता है? यह भी देखा जाना बहुत जरूरी है । Marriage Solutions
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इसके बाद बारी आती है राहू को जानने की इससे पता चलता है कि जातक की मानसिकता कैसी है? उसके विचार कैसे हैं ? वह अपने परिवार को अपने साथ जोड़ने वाले लोगों को किस भाव से दिखेगा ऐसा तो नहीं कि लालच की भावना से अपने स्वार्थ की भावना से या फिर दूसरों का अपमान करने की भावना से जोड़ने की कोशिश कर रहा है? शादी सिर्फ एक ही परिवार का रिश्ता नहीं बल्कि दो परिवारों का और उनके बीच आने वाले समय में जीवन के पनपने का रिश्ता होता है इसीलिए जातक चाहे वह वर हो या कन्या दोनों की जन्म कुंडली के अंदर इन सभी ग्रहों को बहुत बारीकी से समझना होता है। Marriage Solutions
इसके बाद बारी आती है बृहस्पति देव की, ये जीवन को पनपने के लिए ऑक्सीजन देते हैं और मंगल खून के अंदर ताकत पैदा करते हैं, इसीलिए ढके शब्दों में आप यही समझने की कोशिश करिए कि शादी को मंगल कार्य इसलिए कहा जाता है क्योंकि दो लोगों का जब आंतरिक संबंध होता है यानी खून का संबंध सामाजिक रीति-रिवाज से होता है तो उसे मंगल कार्य माना जाता है और आपको पहले भी कह चुका हूं कि शादी सिर्फ एक ही परिवार का रिश्ता नहीं बल्कि दो परिवारों का और उनके बीच आने वाले समय में जीवन के पनपने का रिश्ता होता है और ऐसे जीव को इस दुनिया में लेकर आते हैं जो कि एक बेहतर समाज बेहतर परिवार बेहतर देश के निर्माण में अपना योगदान देता है।
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यदि जन्म कुंडली के अंदर सूर्यग्रहण का योग हो उसकी पूजा और उपाय शादी से पहले जरूर कर लेने चाहिए। यदि जन्म कुंडली के अंदर मंगल देव किसी दुश्मन ग्रह के साथ अर्थात राहु के साथ केतु के साथ खराब होकर बैठे हो तो इसके भी उपाय शादी से पहले जरूर कर लेने चाहिए, यदि बृहस्पति देव की जन्म कुंडली के अंदर खराब भागों में या फिर खराब स्थिति के अंदर बैठे हुए हैं यानि किसी दुश्मन ग्रह के साथ जैसे शुक्र है बुध है राहु है इनके साथ यदि खराब हो कर के बैठे हैं तो इनके भी शादी से पहले उपाय जरूर कर लेना चाहिए ताकि ऊपर लिखी हुई जो भी अशुभ बातें हैं वह आपके जीवन में किसी भी रूप से ना आए यदि जन्म कुंडली के अंदर राहु देव स्वयं ऐसे भावों के अंदर बैठे हुए हैं जहां से बहुत तगड़ी चोट मारने की कंडीशन में हो तो उनके भी उपाय शादी से पहले ज्यादा को जरूर कर लेनी चाहिए अपने ससुराल में या उनकी तरफ से कोई भी बड़ी तकलीफ न आयें।
जब विवाह हो जाए पंडित जी को उचित दक्षिणा देने के बाद उन्हें सम्मान सहित विदा करें और वैवाहिक जीवन में प्रवेश करने से पहले अपने कुलगुरु अपने पुरोहितों अपने कुल देवी देवताओं का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए और ध्यान रहे शादी होने के 6 महीने बाद तक मुंडन यज्ञोपवीत नहीं करवाना चाहिए साथ ही साथ यदि आपने हनीमून पर जाने का कोई प्रोग्राम बनाया हुआ है तो दिशाशूल का ध्यान रखते हुए ही अपनी यात्रा का चयन करें और गर्भाधान मुहूर्त की पूरी जानकारी लेकर के ही हनीमून की तरफ रवाना हो Marriage Solutions
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विशेष बात- जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति को एक तरफ रख करके ही जीवन में पति-पत्नी परिवार के सुख दुख कुछ समझने का प्रयास करना भी मानव पहला कर्तव्य होता है इसीलिए यदि जन्मकुंडली के अंदर कुछ खराब ग्रहों के योग भी हो तो उनको लेकर के पति पत्नी के बीच में आपसे संबंधों को खराब ना करें और परिवार के बीच इसी तालमेल और समन्वय बनाकर चलने की कोशिश कर ताकि बेहतर समाज परिवार और उन्नत देश का निर्माण करने में आप का अतुलनीय सहयोग हो सके।
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